पंचायत के 25 साल।
वर्ष 2018 में हम सब संविधान के 73वें और 74वें संशोधन से देश के प्रशासन के स्तर में हुए अभूतपूर्व बदलाव की 25वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। अप्रैल, 1993 में पंचायती राज अधिनियम एवं जून में नगरपालिका अधिनियम लाए गए थे। इन दोनों ही अधिनियमों की 25वीं वर्षगांठ, वह अवसर है, जब संविधान में किए गए इन संशोधनों के महत्व का आकलन किया जा सकता है। इससे पूर्व देश का प्रशासन केन्द्र, राज्य एवं समवर्ती सूची जैसे तीन स्तरों पर बंटा हुआ था। उदाहरण के लिए रक्षा, विदेश, आयकर जैसे विभाग केन्द्र के पास; कृषि, भू-राजस्व एवं पुलिस जैसे विभाग राज्य के पास और श्रम व शिक्षा जैसे विभाग समवर्ती सूची में रखे गए थे। दोनों संशोधनों ने स्थानीय निकायों को विधायी और कार्यकारी शक्तियों से लैस कर दिया। इन शक्तियों में स्थानीय निकायों के नियमित चुनाव कराने, दलितों एवं आदिवासियों के लिए आरक्षण देने, महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने एवं जिला स्तरीय योजना समिति के निर्माण का प्रावधान था। आज हमारे देश में 2.5 लाख पंचायत और नगरपालिकाओं में 32 लाख चुने हुए प्रतिनिधि हैं। लगभग एक लाख सरपंच अनुसूचित जाति /जनजाति के हैं। लगभग ...